sunar shankar ji
भोलेनाथ का सुनारों को वरदान
एक दिन पार्वती जी के आग्रह पर शंकरजी खुले हाथो से समाज के हर वर्ग वरदान बांटने लगे, यहाँ तक की उनके पास कुछ भी शेष नही रह गया, परन्तु एक सुनार अपनी दुकानदारी में वयस्त होने के कारण देर से पंहुचा तो माँ पार्वती ने देरी से आने का कारण पूछा तो सुनार ने कहा की आज मेरे गाँव में एक मजदूर की बेटी की शादी थी । पार्वती जी ने कहा की पर तुम्हे पता था की यहाँ वरदान मिल रहे है, जो तुम्हारी एक दिन की कमाई से कई गुना कीमती है। सुनार ने बहुत प्यार से कहा की माता मैं व्यापार पैसे के लिए नही करता। उस गॉव में मेरी अकेली दुकान है, यदि मजदूर को सामान और गहने ना देता तो उनके घर में आज शादी ना हो पाती। इस बात पर प्रसन्न होकर शंकर जी ने अपनी आखिरी बची बैठने की 'गद्दी ' सुनार को देकर कहा की ये लो, तुम सिर्फ इसे लेकर जहाँ भी बैठ जाओगे, वही तुम्हारा व्यापार जम जायेगा ।